महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण, कारण एवं 5 उपाय

आज के आधुनिक युग में डिप्रेशन एक आम समस्या बन गई हैं। एक्सपर्टो के मुताबिक पुरुषो की तुलना में सबसे ज्यादा महिलाएं डिप्रेशन की समस्या से पीड़ित हैं। आप डिप्रेशन को चुटकी में दूर करते हैं। लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले ये जानना पड़ेगा की महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं, और ये लक्षण कैसे शुरू होते हैं। अगर आपने ये जान लिया तो आपको कभी डिप्रेशन का शिकार नहीं बनना पड़ेगा।

महिलाओं में डिप्रेशन एक आम मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। जो हार्मोनल बदलाव, सामाजिक दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियों और भावनात्मक तनाव के कारण होती है। यह स्थिति थकान, उदासी, चिड़चिड़ापन, नींद में गड़बड़ी और आत्मसम्मान की कमी जैसे लक्षणों के रूप में सामने आती है।

महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण

डिप्रेशन क्यों होता है

डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो विभिन्न कारणों से होती है। यह जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारकों का परिणाम होता है। जैविक कारणों में मस्तिष्क में रसायनों का असंतुलन, आनुवंशिक प्रवृत्ति, या हार्मोनल बदलाव शामिल होते हैं। मनोवैज्ञानिक कारणों में बचपन के आघात, लंबे समय तक तनाव, या आत्म-सम्मान की कमी होती है। सामाजिक कारण जैसे रिश्तों में समस्याएं, आर्थिक तंगी, या सामाजिक समर्थन की कमी भी डिप्रेशन को बढ़ावा देते हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन के कारण

महिलाओं में डिप्रेशन होने के कई अलग अलग कारण होते है। जिस में से हम आज आपको महिलाओं में डिप्रेशन के सामान्य कारणों के बारे में बताएंगे। तो आइये जानते हैं – महिलाओं में डिप्रेशन के कारण के बारे में।

  • पैसे की समस्या
  • हार्मोनल बदलाव
  • बचपन के आघात
  • संबंधों में समस्याएं
  • सामाजिक दबाव और जिम्मेदारियां
  • प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के बाद की स्थिति
  • अकेलापन या सामाजिक समर्थन की कमी
  • करियर और परिवार के बीच संतुलन की चुनौती

इसके आलावा महिलाओं में डिप्रेशन के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे की पारिवारिक या संबंधी समस्याएं, घरेलू जीवन के दबाव, किसी प्रियजन की मृत्यु, और कार्यस्थल पर भेदभाव जैसे आदि कारण भी होते हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन के कारण :-

  • परसिस्टेंट ( लगातार ) डिप्रेशन :- जब डिप्रेशन दो साल या उससे भी ज्यादा समय तक बना रहता हैं तो उसे परसिस्टेंट ( लगातार ) डिप्रेशन कहा जाता हैं।
  • क्लिनिकल ( नैदानिक ) डिप्रेशन :- गहरी उदासी और निराशा मेहसूस होती हैं। किसी भी काम मे मन नहीं लगता है। आत्म सम्मान कम हो जाता हैं। सामाजिक गतिविधियां से दूरी बना ली जाती हैं। इसे क्लिनिकल ( नैदानिक ) डिप्रेशन कहा जाता हैं।
  • मैनिक ( गहरा ) डिप्रेशन :- कभी बोहोत ज्यादा खुशी का अनुभव होता हैं। तो कभी गहरी निराशा, इस तरह के डिप्रेशन में लो एनर्जी रहती हैं। कंसेंट्रस्ट करना काफी मुश्किल होता हैं। किसी भी एक्टिविटी मे मन नहीं लगता हैं, इसको मैनिक (गहरा) डिप्रेशन कहा जाता हैं।
  • मेजर ( प्रमुख ) डिप्रेशन :- जब पूरे एक सप्ताह में डिप्रेशन का ही अनुभव होता हैं। किसी भी काम मे खुशी नहीं मिलती हैं। अच्छी नींद नही आती हैं या पूरे दिन नींद आती रहती हैं। अपने आप को हानि पोहचने को मन करता हैं या आत्महत्या करने का विचार आता हैं, इन सभी को मेजर ( प्रमुख ) डिप्रेशन कहा जाता हैं।
  • पेरीनेटल ( प्रसवकालीन ) डिप्रेशन :- महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान पेरीनेटल ( प्रसवकालीन ) डिप्रेशन होता हैं। जो बच्चे के जन्म से चार सप्ताह तक रहता हैं, इस दौरान उदासी, गुस्सा, एक्साइटी, का अनुभव होता हैं। खुद को या बच्चे को चोट पहुंचाने के विचार आते रहते हैं। खुद की और बच्चे की देखभाल करने में बोहोत कठिनाई होती हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण

महिलाओं में डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों के कारण होती है। इसके लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं। तो आइये जानते हैं – महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण और उपाय बारे में.

1. मूड स्विंग्स की समस्या

महिलाओं में मूड स्विंग्स का मुख्य कारण हार्मोनल परिवर्तन होता है। शरीर में नारी हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोगेस्टेरोन के स्तर में बदलाव मूड पर प्रभाव डाल सकते हैं।

यह बदलाव आम तौर पर पीरियड्स, गर्भावस्था, और मेनोपॉज़ के समय अधिक होता है। पीरियड्स के दौरान और पीरियड्स से पहले कुछ महिलाएं मूड स्विंग्स का अनुभव करती हैं, जिसके पीछे शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन के कारण होते हैं।

गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं में मूड स्विंग्स की समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के समय हार्मोनल परिवर्तन, शारीरिक बदलाव, और अन्य स्त्री हार्मोन्स के प्रभाव से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस दौरान महिलाएं अपने भावनात्मक स्तर पर ज्यादा संवेदनशील होती हैं, जिसके कारण वे मूड स्विंग्स का अनुभव कर सकती हैं।

अन्य कारणों में स्ट्रेस और चिंता भी शामिल हो सकते हैं। जीवन की अधिक चिंता, तनाव, या दुखी घटनाओं का सामना करने के कारण महिलाओं में मूड स्विंग्स हो सकते हैं। इसके अलावा, कुछ व्यक्तियों को दिमागी रूप से और शारीरिक रूप से बिमारी हो सकती है, जो मूड पर असर डाल सकती है।

2. सेक्स में रुचि महसूस न होना

आधुनिक जीवनशैली और स्त्री शक्ति के विकास के साथ, सेक्सुअलिटी और सेक्सुअल रुचि महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि, कुछ महिलाएं सेक्स के प्रति रुचि के अभाव का सामना करती हैं, जिसे सेक्सुअल डिसइंट्रेस्ट (Sexual Disinterest) के रूप में जाना जाता है।

इस समस्या का प्रमुख लक्षण है कि महिला सेक्स के प्रति रुचि नहीं दिखाती और सेक्सुअल गतिविधियों में सक्रिय नहीं होती। यह स्त्री के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर असर डाल सकता है, जिससे वह संतुष्ट और संतुलित नहीं रह पाती है।

3. कार्यों में रुचि कम होना

कार्यों मे रुचि खत्म होना ये महिलाओं में डिप्रेशन का शुरुआती संकेत हो सकता है। अगर आपको अचानक अपने पसंदीदा काम को करने की इच्छा नही होती हैं। आप कार्यों को करना बंध कर देते हैं। तो इन लक्षणों को नजर अंदाज ना करें।

4. आत्महत्या का विचार

महिलाओं में आत्महत्या का विचार एक गंभीर और चिंताजनक विषय है। आत्महत्या के विचार का मतलब होता है किसी व्यक्ति के मन में खुद को जीवन से हटाने की इच्छा होना। यह एक अत्यंत चिंताजनक मानसिक समस्या है।

आत्महत्या के विचार को शुरुआती स्तर पर पहचानना और समझना महत्वपूर्ण है। यदि किसी महिला को अधिक समय तक निरंतर उदासी, निराशा, अवसाद, या विचलित भावों का सामना करना पड़ रहा है,तो ऐसे समय पर महिलाओ को आत्महत्या के विचार आ सकते है।

5. आत्मविश्वास में कमी

महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी एक व्यापक समस्या है जो उनके जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है। यह चिंताजनक तब होती है जब महिलाएं अपने अंदर की शक्तियों और क्षमताओं को समझने में कठिनाई महसूस करती हैं।

सामाजिक मान्यता, परिवार के चारों ओर के अपेक्षाओं, और स्वयं के विकास पर पड़ते हुए दबाव आत्मविश्वास में कमी का कारण बन सकते हैं।

समाज की भारतीय संस्कृति में भी, महिलाओं को अक्सर अपने परिवार और समाज की भूमिकाओं में समर्थान और सम्मान दिखाने की प्रतीक्षा होती है, जिससे उन्हें अपनी सही वैल्यू को समझने में कठिनाई हो सकती है।

इसके अलावा, व्यक्तिगत जीवन में आने वाली मुश्किलतों और नकारात्मक अनुभवों का सामना करने के कारण भी महिलाएं अपने आप में विश्वास खो सकती हैं।

6. चिड़चिड़ापन महसूस करना

चिढ़चिढ़ाहट या चिढ़चिढ़ा महसूस करने की यह समस्या महिलाओं के लिए एक आम समस्या हो सकती है जो उन्हें निराशा और बेकारी की भावना से भर देती है। यह समस्या सामाजिक, परिवारिक और व्यक्तिगत स्तरों पर उत्पन्न हो सकती है, जिससे महिलाओं के बीच रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं।

समाज में अधिकांश जगहों पर महिलाएं अपने विचारों और मतों को नजरअंदाज किए जाते हैं और उन्हें अपनी पहचान खोने का डर होता है। इसके अलावा, समाजिक दबाव, परिवार के साथी द्वारा अधिक दबाव देने और नकारात्मक भावनाएं जताने से भी महिलाएं चिढ़चिढ़ाहट का सामना कर सकती हैं।

तनाव भरी जीवनशैली और रोजमर्रा की छोटी-छोटी समस्याओं से भी यह समस्या हो सकती है, क्योंकि ऐसे समय पर महिलाएं अपने आप को निराश और खुद को नाकारात्मक महसूस कर सकती हैं।

7. फैमिली प्रॉब्लम्स होना

सभी महिलाओं की फैमिली प्रॉब्लम्स अलग अलग होती हैं। जेसे घर के काम का लॉर्ड, ऑफिस के काम का लॉर्ड, अगर बच्चा हैं तो बच्चे की देखभाल करने का लॉर्ड, ऐसे ही कुछ मामलों में ज्यादा काम की चिंता करने पर डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिलते है।

8. एकाग्रता में परेशानी

महिलाओं में एकाग्रता में परेशानी एक आम समस्या हो सकती है जो उन्हें सही समय और स्थान पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ बना सकती है।

यह समस्या भावनात्मक, शारीरिक, या मानसिक कारणों से हो सकती है और उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है।इस लक्षण की वजह से ज्यादातर महिलाएं अपने निश्चित कार्य से भटक जाती है और परेशानी खड़ी हो जाती है।

9. नींद और थकान महसूस होना

महिलाओं में नींद और थकान का महसूस होना ये डिप्रेशन के दौरान एक आम समस्या है जो उनके स्वास्थ्य और वित्तीय समृद्धि को प्रभावित कर सकती है। नींद और थकान का महसूस होने के पीछे डिप्रेशन मुख्य कारण हो सकता हैं। उसके अलावा शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक भी होते हैं।

शारीरिक कारण में थकान के लिए अपर्याप्त नींद, अनुचित खानपान, अल्कोहल और निकोटिन का सेवन, या शारीरिक बीमारियां शामिल हो सकती हैं। मानसिक कारण में तनाव, चिंता, अवसाद और अधिक सोचने की समस्या भी नींद और थकान का मुख्य कारण बन सकती हैं। भावनात्मक कारण में संबंधों में समस्याएं, परिवार की जिम्मेदारियों का भार, या पर्सनल जीवन के मुद्दे शामिल होते हैं।

नींद और थकान महिलाओं के दैनिक जीवन पर असर डाल सकती है। यदि उन्हें अपर्याप्त नींद मिलती है तो उनका दिनचर्या और कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। थकान और चिंता से उन्हें शारीरिक और मानसिक तनाव महसूस हो सकता है जिससे उन्हें खुद को असुरक्षित अनुभव हो सकता है। यह समस्या उनके सामाजिक और परिवारिक जीवन पर भी असर डालती है, जिससे उन्हें संबंधों में समस्याएं आती हैं।

10. अनियमित पीरियड आना

ज्यादातर मामलों में अनियमित पीरियड भी डिप्रेशन का लक्षण हो सकता हैं। क्योंकि कुछ महिलाओं को समय से पहले पीरियड आ जाते हैं।

कुछ महिलाओं को समय हो जाने के बाद भी पीरियड नही आते हैं, इसलिए महिला ज्यादा चिंतित हो जाती हैं और कब चिंता डिप्रेशन में परिवर्तित हो जाती हैं पता नही चलता।

11. भविष्य की चिंता होना

कुछ महिलाएं अपने भविष्य को लेकर बोहोत चिंतित होती हैं। हमेशा उनका फोकस अपने सपने को पूरा करने में होता हैं। महिलाएं भविष्य की चिंता को लेकर भी कभी कभी डिप्रेशन का शिकार होती हैं।

12. बैचेनी और घबराहट होना

बैचेनी और घबराहट सभी महिलाओं में देखने को मिलती हैं। हाउस वाइफ से लेकर ऑफिस में काम करने वाली महिला कभी ना कभी बैचेनी और घबराहट को महसूस करती हैं। हाउस वाइफ को घर की चिंता होती हैं। और ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं को ऑफिस के काम को लेकर चिंता होती हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण

महिलाओं में डिप्रेशन उपाय – डिप्रेशन से बाहर निकलने का उपाय

डिप्रेशन से राहत पाने के लिए हमने निचे मुताबिक कुछ सरल और आसान उपायों के बारे में चर्चा की हैं जो आपकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। तो आइये जानते हैं – डिप्रेशन से बाहर निकलने का उपाय के बारे में।

1. योग और ध्यान सहारा ले

योग और ध्यान डिप्रेशन से बाहर निकलने में बेहद फायदेमंद होता हैं। योग के आसन जैसे भुजंगासन, बालासन और शवासन तनाव को कम करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं। प्राणायाम, जैसे अनुलोम-विलोम और कपालभाति, मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाकर मूड को बेहतर बनाते हैं। रोजाना 15-20 मिनट योग और ध्यान का अभ्यास करने से डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार आता है।

2. पर्याप्त और गहरी नींद ले

डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए पर्याप्त और गहरी नींद लेना बेहद जरूरी होता है। रोजाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। सोने का एक निश्चित समय तय करें और सोने से पहले टीवी, मोबाइल और अन्य स्क्रीन से दूरी बनाएं। शांत और अंधेरे वातावरण में सोने से नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।

3. सूरज की रोशनी ले

डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए सूरज की रोशनी लेना एक सरल और असरदार उपाय होता है। सूरज की रोशनी में विटामिन D होता है जो मूड को बेहतर बनाता है और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। प्रतिदिन 15-20 मिनट सूरज की रोशनी में समय बिताने से मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है। जो खुशी और संतुष्टि का अहसास कराता है। सूरज की रोशनी का नियमित सेवन मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है।

4. डिप्रेशन से बाहर निकलने का अन्य उपाय
  • कुछ मामलों में महिलाएं अपने दिल की बात ना कह पाने या किसी गिल्टी की वजह से भी महिलाए डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।
  • अगर आपको अपने परिवार में या अपने पड़ोस में किसी महिला में आपको डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे अपनी बात कहने का अवशर दे। और उसकी बात ध्यान से सुने फिर उसे समझने की कोशिश करें।
  • जो महिला डिप्रेशन की शिकार हैं, वो कभी कभी अकेलापन महसूस करती हैं। इसकी वजह से उन्हें बैचेनी और घबराहट भी होने लगती हैं। आप उन्हें विश्वास दिलाएं कि वो अकेली नहीं हैं। आप उनके साथ हैं।
  • डिप्रेशन की स्थिति में महिलाओं पर चिल्लाएं नही, उन के ऊपर गुस्सा ना करें। उनके साथ शांति से पेश आएं और उनकी मानसिक स्थिति को समझे।

अगर डिप्रेशन के लक्षण ज्यादा हैं तो मनोचिकित्सक ( साइकेट्रिस्ट ) से जरूर मिले। इसमे घबराने या संकोच करने जैसी कोई बात नही हैं।

Conclusion ( निष्कर्ष )

अगर आपको डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत ही डिप्रेशन के लक्षण को दूर करने की कोशिश करें। किसी भी बात को लेकर ज्यादा चिंता ना करें। समय के साथ साथ सब ठीक हो जाता हैं। अगर आपने किसी भी बात को लेकर ज्यादा सोचने की कोशिश की तो आप डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। आप ज्यादा ही डिप्रेशन में हैं तो तुरंत ही किसी अच्छे मनोचिकित्सक – साइकेट्रिस्ट ) का संपर्क जरूर करे।

इस लेख में हमने आपको महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण से जुड़ी संपूर्ण जानकारी दी हैं। आशा करता हूं आप महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण से जुड़ी सभी जानकारियों को अच्छी तरह समझ गए होगे।

हमारा उद्देश्य आपको स्वस्थ और तंदुरस्त रखना हैं। महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी हमे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं।

लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद

4 thoughts on “महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण, कारण एवं 5 उपाय”

  1. महिलाओं में डिप्रेशन एक गंभीर मुद्दा है जो कई कारणों से होता है। हार्मोनल बदलाव, सामाजिक दबाव और पारिवारिक जिम्मेदारियां इसके मुख्य कारण हैं। इसके लक्षणों को समझना बहुत जरूरी है ताकि इसे जल्दी पहचाना जा सके। डिप्रेशन को दूर करने के लिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। क्या इस समस्या को कम करने के लिए समाज को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए?

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  2. डिप्रेशन के बारे में यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर महिलाओं के लिए। यह सच है कि महिलाएं अक्सर हार्मोनल बदलाव और सामाजिक दबाव के कारण डिप्रेशन का शिकार होती हैं। लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि इस समस्या को हल करने के लिए सिर्फ लक्षणों को पहचानना ही काफी नहीं है? हमें समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। क्या आपको लगता है कि पुरुषों को भी इस मुद्दे पर अधिक संवेदनशील होना चाहिए? और क्या आप मानते हैं कि डिप्रेशन से निपटने के लिए सिर्फ व्यक्तिगत प्रयास ही काफी हैं, या फिर सामाजिक और पारिवारिक समर्थन भी जरूरी है?

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